छत्तीसगढ़ में ओमिक्रोन का खतरा , जीनोम जांच के लिए भुवनेश्वर लैब भेजे जा रहे है 10 प्रतिशत पाजिटिव सैंपल
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रायपुर
रायपुर 10 जनवरी 2022 - छत्तीसगढ़ में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के खतरे और संक्रमण के बदलते स्वरूप को लेकर स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। इसे देखते हुए जीनोम सिक्वेंसिंग जांच की संख्या भी बढ़ा दी गई है।
पहले जहां संक्रमितों के पांच फीसद सैंपल हर दिन जीनोम जांच के लिए भुवनेश्वर भेजे जा रहे हैं। अब दोगुना यानी 10 फीसद सैंपल भेजे जा रहे हैं, ताकि स्थिति का सही पता लगाया जा सके, लेकिन जांच रिपोर्ट में 15 दिन से अधिक का समय लगने की वजह से विभाग को समय स्थिति साफ नहीं हो पा रही है।
जांच की आवश्यकता को देखते हुए राज्य सरकार ने एम्स और रायपुर मेडिकल कालेज जीनोम सिक्वेसिंग जांच की सुविधा शुरू करने के लिए पत्र लिखा है, जिसका केंद्र से अभी तक जवाब नहीं आया है। जीनोम सिक्वेंसिंग जांच को लेकर एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन एम. नागरकर ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग रिसर्च लैब है, इसलिए इसकी आवश्यकता ज्यादा नहीं पड़ती है। जीनोम सिक्वेंसिंग में जांच का खर्चा भी काफी अधिक होता है। एम्स में जीनोम लैब तैयार है। सरकार किट उपलब्ध कराए तो जीनोम जांच यहां भी हो जाएगी। वैसे भी जीनोम जांच भुवनेश्वर व पुणे के लैब में हो रही है।
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि संक्रमितों की बढ़ी संख्या, विदेशी यात्रियों में संक्रमण, दोनो डोज वाले दोबारा संक्रमित होने व वायरस की स्थिति को जानने के लिए जीनोम जांच की आवश्यकता पड़ रही है, ताकि संक्रमण की स्थिति से निपटने की रणनीति तैयार की जा सके। केंद्र के गाइडलाइन व मार्गदर्शन में ही जीनोम जांच प्रमुखता से कराई जा रही है। इससे वायरस के बदलते स्वरूप का पता चलता है।
राज्य में कोरोना के नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए अब तक जीनोम सिक्वेसिंग जांच के लिए 3800 से अधिक सैंपल भुवनेश्वर भेजे गए हैं। इसमें 1335 डेल्टा, 151 सैंपल में यूके व अन्य वैरिएंट, 38 में कापा वैरिएंट व एक सैंपल में ओमिक्रोन वैरिएंट की पुष्टि हुई है। 300 से अधिक सैंपलों के रिपोर्ट वेटिंग में हैं।
इस मामले में संचालक राज्य महामारी नियंत्रक डा. सुभाष मिश्रा का कहना है की कोरोना वायरस में जिस तेजी से बदला रहे हैं। नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम जांच के लिए संख्या बढ़ाकर अब 10 फीसद सैंपल भुवनेश्वर भेज रहे हैं। रिपोर्ट मिलने में समय लगता है। केंद्र को राज्य में जीनोम लैब के लिए पत्र लिखा गया है। जवाब नहीं मिला है। हम लैब शुरू कर दें, तो भी केंद्र सरकार की अनुमति लेनी पड़ेगी। जानकारी है, एम्स के जीनोम सिक्वेसिंग लैब को केंद्र सरकार से अभी तक मान्यता नहीं मिली है।
एम्स के डायरेक्टर डा. नितिन नागरकर के मुताबिक वायरस के अध्ययन के लिए जीनोम सिक्वेसिंग की आवश्यकता होती है। यह सामान्य जांच के लिए नहीं है। जीनोम जांच के लिए हमारे पास मशीन व अन्य संसाधन उपलब्ध है। यदि सरकार से किट मिले तो एम्स में भी जीनोम जांच शुरू कर सकते हैं। जीनोम लैब व जांच से संबंधित प्रक्रिया केंद्र सरकार के गाइड लाइन के तहत होती है।