विधायक का रसोइया निकला फर्जीनोटशीट मामले का सरगना , सांसद और विधायक की फर्जी नोटशीट तैयार कर तबादले कराने के लिए भेजता था मुख्यमंत्री कार्यालय
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मध्य प्रदेश
भोपाल 05 अगस्त 2021 - सांसदों और विधायक की फर्जी नोटशीट तैयार कर तबादले कराने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजने वाले शातिर गिरोह के पांच सदस्यों को बुधवार को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों ने राज्य सरकार के तबादलों से प्रतिबंध हटाते ही लोगों से संपर्क करना शुरू कर दिया था। जो लोग संपर्क में आते उनके तबादलों की फर्जी नोटशीट तैयार कर सीएम कार्यालय भेजना शुरू कर दिया।
इस फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड विधायक रामपाल सिंह का पुराना रसोइया निकला। उसने फर्जी नोटशीट तैयार कराने के लिए दो कंप्यूटर ऑपरेटर रखे थे। क्राइम ब्रांच के अफसरों का कहना है कि अभी विधायक रामपाल सिंह के लेटरहेड पर फर्जी नोटशीट का मामला सुलझा है, सांसदों की नोटशीट तैयार करने वालों की तलाश जारी है।
बता दें कि सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर , महेंद्र सिंह सोलंकी , रोडमल नागर और विधायक रामपाल सिंह के नाम से फर्जी नोटशीट तैयार कर तबादले की अनुशंसा कर मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जा रही थी। इन नोटशीट को मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात अफसरों ने जांच में फर्जी बताकर शिकायत क्राइम ब्रांच को थी।
क्राइम ब्रांच ने उन लोगों को बुलाकर पूछताछ शुरू की, जिनकी तबादलों की अनुशंसाएं की गई थीं। इस दौरान दो संदेहियों के नाम सामने आए। इनमें सुनहरी बाग जवाहर चौक भोपाल निवासी 36 वर्षीय रामप्रसाद राही गिरोह का सरगना निकला। वह पूर्व में विधायक रामपाल सिंह के भोपाल स्थित बंगले पर रसोइया था।
उसके अलावा दूसरा संदेही ग्राम कानीबड़ा रायसेन निवासी 35 वर्षीय लखनलाल धाकड़ हैं। इन दोनों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो फर्जी नोटशीट तैयार करना कबूल कर लिया। उन्होंने अपने साथी शिक्षा विभाग के भृत्य रामागोपाल पाराशर (54) निवासी मॉडल स्कूल परिसर टीटीनगर भोपाल, रामकृष्ण राजपूत (31) और दशरथ राजपूत (44) निवासी ग्राम खामा पडवा जिला हरदा के बारे में बताया।
क्राइम ब्रांच के एएसपी गोपाल धाकड़ ने बताया कि रामगोपाल पाराशर शिक्षा विभाग का भृत्य है। वह पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के बंगले पर काम कर चुका है। वह डाक लगाने के लिए कई बार रामपाल सिंह के बंगले पर जाता था तभी उसने विधायक के बंगले से लेटरहेड हेड चुराकर पांच हजार में रामप्रसाद राही को बेच दिया था।