कोरोना से मरे ब्यक्ति का अंतिम संस्कार के बाद चल रहा था श्राद्ध का कार्यक्रम तभी परिजनों को हॉस्पिटल से एक फोन आया और मातम बदल गई खुशियों में ,,
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पश्चिम बंगाल 24 नवम्बर 2020 - पश्चिम बंगाल में कोरोना से मरे शख्स का परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया, घर में अब मृतक के श्राद्ध की तैयारियां चल रही थीं कि तभी वो लौटकर वापिस आ गया।
आपको यह पढ़कर कुछ अटपटा-सा लग रहा होगा। दरअसल बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में अस्पताल प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल ने एक परिवार को गलत व्यक्ति की लाश थमा दी। परिवार वालों ने भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर दिया और घर आकर श्राद्ध की तैयारियां शुरू कर दीं। तभी अस्पताल से फोन आया और बताया कि उनका सदस्य बिल्कुल ठीक है, उसकी मौत नहीं हुई बल्कि गलती से किसी और का शव उनको दे दिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस में लगी एक खबर के मुताबिक 04 नवंबर को शिबदास बनर्जी नाम के शख्स को खरदा स्थित बलरामपुर बासु अस्पताल में भर्ती कराया गया था, 13 नवंबर को अस्पताल प्रशासन ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिवार वाले अस्पताल से शव ले गए और उनका अंतिम संस्कार कर दिया। दरअसल कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से शव को प्रोटेक्टिव लेयर में रखा गया था। परिजनों ने भी दूर से ही शव को देखा इसलिए किसी को भी इतनी बड़ी गलती का एहसास नहीं हुआ।
सरनेम के चलते हुई गलती
इस पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जिसके बाद जिला स्वास्थ्य विभाग ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। जिला CMHO (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) तपस रॉय ने कहा कि इस मामले में पूरी जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं अधिकारियों ने बताया कि जिस 75 वर्षीय शख्स का अंतिम संस्कार किया गया, उनका नाम मोहिनीमोहन मुखर्जी था और उनको भी 04 नवंबर को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था, 07 नवंबर को उन्हें बारासात स्थित कोविड अस्पताल ट्रांसफर किया गया था। यह पूरी प्रक्रिया बलरामपुर बासु अस्पताल की तरफ से की गई थी।
अधिकारियों ने कहा कि दोनों शख्स के नाम में बनर्जी जुड़े होने से अस्पताल प्रशासन को गलती लग गई। शुक्रवार को अस्पताल से मोहिनीमोहन मुखर्जी के परिजनों को फोन किया गया कि उनका रिश्तेदार ठीक हो गया हैं,आकर ले जाएं। जब वो लोग अस्पताल पहुंचे तो देखा कि यह उनका रिश्तेदार नहीं जिसके बाद अस्पताल प्रशासन को अपनी गलती के बारे में पता चला। इसके बाद अस्पताल ने शिबदास बनर्जी के परिवार को फोन कर सारी जानकारी दी कि उनका रिश्तेदार जिंदा है, गलती से उनको किसी औऱ का शव सौंप दिया गया। जिसके बाद देर रात परिवार वाले शिबदास बनर्जी को अपने साथ घर ले गए।