छत्तीसगढ़ में पहला नही है राम कुमार यादव का स्टिंग , 2003 में इस नेता का हुआ था सबसे बड़ा स्टिंग ऑपरेशन
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रायपुर
रायपुर 18 सितंबर 2023 - समय है छत्तीसगढ़ गठन के बाद पहली बार 2003 में विधानसभा चुनाव के ठीक 2 सप्ताह पहले का. दिल्ली के ताजमहल होटल में एक ऑस्ट्रेलिया की कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रहे व्यक्ति ने नोटों के बंडल को देते हुए छत्तीसगढ़ के साथ कई अन्य जगहों में खनन अधिकार की मांग की थी।
इसके लिए पेपर में लपटे नोटों के बंडल को छत्तीसगढ़ में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार स्व.दिलीप सिंह जूदेव ने माथे पर लगाया.और बहुचर्चित डायलॉग 'पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा की कसम, खुदा से कम भी नहीं' बोलते नजर आए थे। इसके बाद देशभर तहलका मच गया. इस स्टिंग ऑपरेशन ने बीजेपी में खलबली मचा दी और बीजेपी के बड़े नेता पर रिश्वतखोरी के आरोप पार्टी घिर गई।
2000 में जब छत्तीसगढ़ बना तो बीजेपी से मुख्यमंत्री पद का दावा दिलीप सिंह जूदेव का था. जुदेव ने आदिवासी इलाकों में घूम घूम कर वनवासी आश्रम के लिए काम किया था. जुदेव ने कथित धर्म परिवर्तन को रोका था. लेकिन स्टिंग ऑपरेशन ने जुदेव की गिल्ली उड़ा दी. इससे बीजेपी के पास की मुसीबत बढ़ गई. लेकिन उस समय के राजनीतिक गतिविधियों ने बीजेपी को फायदा पहुंचाया. कांग्रेस पार्टी भारी गुटबाजी की शिकार थी।
तब बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रमन सिंह का नाम सामने किया. हालांकि छत्तीसगढ़ में रमन के साथ बृजमोहन अग्रवाल , नंदकुमार साय और रमेश बैंस जैसे दिग्गज नेता भी थे. लेकिन रमन सिंह को साफ छवि और उनके मेहनत का इनाम मिला और छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने. इसके बाद रमन सिंह 2008 और 2013 में भी रमन सिंह मुख्यमंत्री बने और राज्य में 15 साल मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया।